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कैसे किसी ताकतवर को हिला दिया गया है! ठीक तीन महीने पहले ही पश्चिम बंगाल की जनता ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को लोकसभा की 42 में से 29 सीटें सौंपीं लेकिन मौजूदा सरकार को अपने ही आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (आरजीकेएमसीएच) में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के रेप और हत्या से निबटने के मामले में लगातार बढ़ते और जबरदस्त विरोध की आंच झेलनी पड़ रही है. अगर लोगों के क्रोध का एक ही मुख्य बिंदु है तो वह है मुख्यमंत्री ममता बनर्जी. 9 अगस्त के बाद से, जब यह जघन्य हत्याकांड उजागर हुआ, ममता को प्रशासन की सड़ांध की जड़ माना गया है, जिसने अपराध को कथित तौर पर रफा-दफा करने की कोशिश की. 31 वर्षीया डॉक्टर की मृत्यु से जुड़े कई सवालों के अभी तक कोई जवाब नहीं हैं और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) आरजीकेएमसीएच के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के कथित भ्रष्टाचार को उजागर कर रहा है, इसके साथ ही टीएमसी में भी असंतोष है—पूरे मामले से गलत तरीके से निबटने से राज्यसभा सदस्य जवाहर सरकार का भी मोहभंग हुआ और उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया जबकि उच्च सदन के एक और सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने इस मामले में प्रशासन की भूमिका की सार्वजनिक रूप से आलोचना की है. अब जब तृणमूल कांग्रेस और सरकार लोगों का विश्वास फिर से जीतने की कवायद में लग गई हैं तो विपक्ष का स्थान आम आदमी ने ले लिया है. भाजपा ने कुछ विरोध आयोजित करने की कोशिश की लेकिन उसे ज्यादा समर्थन नहीं मिला जबकि माकपा ने चुप ही रहने का फैसला किया और नागरिक समाज को इसकी अगुआई करने दी. इस उम्मीद में कि इससे उनको तृणमूल और भाजपा का दोहरा प्रभुत्व तोड़ने में मदद मिलेगी. विश्वास बहाल करने की कोशिश तृणमूल ने तीनतरफा रणनीति के तहत इससे लड़ने का फैसला किया है. पहला, उसने अपराजिता महिला और बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन)
चंदेरी की एक अंधेरी गली में एक नौजवान नाइजीरियाई गायक रीमा और सेलेना गोमेज के हिट गाने काम डाउन अपनी ही किस्म की धुन और अंदाज में गाने में खोया है. वह अपने उस दोस्त का इंतजार कर रहा है जिसने अभी-अभी अपनी गर्लफ्रेंड को सॉफ्ट चिट्टी, वार्म चिट्टी (द बिग बैंग थ्योरी के गाने सॉफ्ट किटी का संदर्भ) लोरी सुनाना खत्म किया है. तभी मोटा-तगड़ा, विशालकाय सिरविहीन दैत्य कमरे में दाखिल होता है. सिरकटा के अलावा इसे आप और क्या कहेंगे! वह अपना कटा सिर बिस्तर के नीचे छिपाता है, और फिर चिट्टी को अगवा कर लेता है. दर्शक ज्यों-ज्यों हंसी और डर के इस विशाल झूले में लोटपोट होते जाते हैं, स्त्री 2 देखते-देखते भारत में अब तक की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन जाती है. इसके 554 करोड़ रुपए बटोरने वाली जवान को भी पीछे छोड़ देने का अनुमान है. स्त्री 2 तो शाहरुख खान की अदाकारी से सजी और ऐक्शन से भरपूर फिल्म के आधे से भी कम बजट में बनी है. तरह-तरह के अदाकारों, चुटीले जुमलों और पितृसत्तात्मकता को चकनाचूर करने के गूढ़ संदेश की बदौलत यह हॉरर कॉमेडी 530 करोड़ रुपए पहले ही छाप चुकी है. स्त्री 2 कामयाबी के झंडे गाड़ने वाली इस साल की कोई पहली हॉरर-कॉमेडी नहीं है. बिना किसी नामी स्टार के, वीएफएक्स से रचे गए बाल राक्षस को आगे रखकर यही काम जून में मुंज्या ने किया था जिसने हैरतअंगेज ढंग से 100 करोड़ रुपए से ज्यादा कमाए थे. 1 नवंबर को भूल भुलैया 3 आने वाली है, जो सबसे पहली हॉरर-कॉमेडी फिल्मों में से एक का तीसरा संस्करण है. इससे भी बड़ी ओपनिंग की उम्मीद है. भूल भुलैया 2 (2022) ने 180 करोड़ रुपए बटोरे थे. ऐसे में यह पक्के तौर पर कहा जा सकता है कि 2024 हॉरर-कॉमेडी फिल्मों का साल है. स्त्री 2 की कामयाबी इसके शानदार आंकड़ों से भी आगे जाती है. एक तो यह दुर्लभ फ्रेंचाइज फिल्म है जिसका नाम एक औरत और वह भी चुड़ैल के नाम पर रखा गया है और किसी सितारे के कंधे पर सवार नहीं है. इसके बजाए यह फिल्म दमदार अदाकारों—श्रद्धा कपूर, राजकुमार राव (बिकी), अभिषेक बनर्जी (जना), अपारशक्ति खुराना (बिट्टू) और पंकज त्रिपाठी (रुद्र भैया)—पर भरोसा करती है जो सितारों की बंधी परिभाषा के दायरे में भले न आते हों लेकिन इस फिल्म के किरदार निभाते हुए अपने आप में सितारे बन गए हैं. राव को दहशत और आतंक के बीच हंसाने-गुदगुदाने का फन आता है—रागिनी एमएमएस इसका अच्छा उदाहरण है. वे कहते हैं, मुझे लगता है ट्रैजडी में कहीं न कहीं कॉमेडी होती है.
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